रुक्मणी कुंड

रुक्मणी कुंड :-  

रुक्मणी कुंड हिमाचल प्रदेश क बिलासपुर जिले के सलासी गाव मे है ! यहा के पानी से आस पास के कई गाव के लोगो का जीवन चलता है ! यहा का पानी यहा आस-पास के लोगो के लिए अमृत से कम नही है 

पहुँचने के लिए कैसे करें :- 

वहाँ रुक्मणी कुंड के लिए कोई सीधी बस नही है। आप बस /अपने निजी वाहन के माध्यम से यात्रा कर रहे हैं तो आप को भगेड़ह गांव से ( शिमला-धर्मशाला राजमार्ग पर) औहर की ओर जाना होगा औहर - गेहरवीं सड़क पर आगे से रुक्मणी के लिए सीधा रास्ता है तो औहर - गेहरवीं सड़क पर 3 किमी आगे जाना है और वहाँ से लगभग 2 किमी है जो आप रुक्मणी कुंड लेता है जो एक कच्ची सड़क है।

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रुक्मणी कुंड का इतिहास :- 

एक बार गेहरवीं ,औहर और आस् - पास के इलाके मै पानी के लिए लोग त्राहि - त्राहि करने लगे थे पानी क बीना लोग , जीव- जन्तु सबका बूरा हाल था !  तब बिलासपुर के राजा के पंडित को  सपना आया कि राजा अगर अपने बड़े बेटे कि बलि देगा तो वहा पर पानी निकाल जयेगा , ये सपना देख् के उसने अपने राजा को बताया पंडित कि बात सुन क राजा बहुत सोच मेँ पड़ गया क्यूँकि राजा को अपना बड़ा बेटा बहुत प्यारा था उसने पंडित को बोला कि ऐसा नही हो सकता कोई और रास्ता बताओ ! तब पंडित ने बहुत सोच - विचार कर के  बोला कि बड़ा बेटा नhi तो बड़ी बहु की बलि देनी पड़ेगी! इस पर राजा मान गया!
तब राजा कि बहु अपने माइके मेँ थी राजा ने उसको बुलावा भेज के बुला लिया और सपने क बरे मेँ बात बताईं ,रुक्मन एक समझदार थी वो समझ गई कि राजा क्या बोलना चाहता है चूँकि  वो जानती थी राजा को बड़ा बेटा बहुत प्यारा है पर फिर राजा और लोगो कि परेशानी के बारे मेँ सोच के वो बलिदान के लिए तैयार हो गई !
पंडित ने इस कम के लिए दिन निस्चित कर के राजा को बताया फिर उस निर्धारित दिन रुकमनी को जिंदा दीवार मेँ चिंनंवा दिया और
ऐसे रुकमनी ने अपने लोगो के लिए बलिदान दे दिया ! उसके कुछ समय क बाद वहा से पानी निकलना शुरू हो गया ! और आज भी वहा से पानी निकलता है तथा रुकमनी का मन्दिर बना केर लोग आज भी उसकी पूजा रुकमनी देवी के रुप मेँ करते है कुंड के पास ही रुकमनी देवी का मन्दिर है हर साल बैसाखी को यहा मेला भी लगता है और लोग यहा पानी मेँ नहाते है और देवी से अपने अछे भविस्य कि कमाना करते है
पर यहा एक मन्यता है कि रुक्मणि देवी का एक बेटा भी था जो अपनी माँ का वियोग नि देख् सका और उसने भी अपनी जान दे दी थी और बाद मेँ साप बन गया था कहते है कि आज भी कुछ भाग्यशाली लोगो को दिखता है कभी कभी !
और इस तरह रुकमनी देवी ने अपना बलिदान दे कर लोगो को अपना ऋणी बना लिया ! ऐसी देवी को हमारी तरफ़ से शत शत् नमन !
kund view 

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